Friday, December 25, 2009

कुमार अजय री एक और राजस्थानी कविता

काळ री अगवाणी में

आ तै है
कै अेक दिन
चल्या जावांगा
आपां सगळा
अर अठै इज छूट ज्यावैली
आ दुनियां
अै मकान
अै डागळा
अै गाड्यां
अर दूजो सगळो ई साजो-सामान
ज्हकौ जुटायौ हो आपां
काळ रै सामीं
कै फेरूं
वीं री अगवाणी में।

साथै ही छूट ज्यावैला
अठै इज
आपणां सगा-परसंगी
बेटा-पोता-दोयता
अर वै सगळा इज
ज्हका नीं गया
आपां सूं आगै
आपणी अगवाणी सारू।

हां, सगळा रै‘वगा अठै इज
अेक आपां नैं ई जाणो है
अब इण सारू इज
समूळी नसवरता
अर निसारता रै बावजूद ई
वां रै सामीं
आपरला अै उपक्रम है।
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